लखनऊ. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के भविष्य निधि घोटाले में आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू) ने यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्र को मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया है। मंगलवार तड़के मिश्र को हिरासत में लेकर ईओडब्ल्यू ने दिनभर उनसे पूछताछ की और फिर उनकी गिरफ्तार की पुष्टि की गई। इसके बाद आज उन्हें अदालत में पेश किया गया।
इस बीच शक्ति भवन स्थित उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट के कार्यालय में लगातार दूसरे दिन छानबीन कर कई और अहम दस्तावेज भी ईओडब्ल्यू ने कब्जे में लिए हैं।
सोमवार को अपर्णा यू. के हटाए जाने के बाद मंगलवार शाम को एम. देवराज ने कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पद का दायित्व भी संभाल लिया। डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह का कहना है कि पीएनबी हाउसिंग में भी भविष्य निधि की रकम नियम विरुद्ध निवेश की गई थी। उन्होंने दावा किया कि पूर्व एमडी एपी मिश्र के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। मिश्र को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह का करीबी माना जाता है।
सपा शासन में एपी मिश्रा को मिला था सेवा विस्तार
सपा शासन के दौरान नियमों में बदलाव कर एपी मिश्र को प्रबंध निदेशक के पद पर सेवा विस्तार दिया जाता रहा। ट्रस्ट के चेयरमैन होने के नाते पावर कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष संजय अग्रवाल (वर्तमान में केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के सचिव) समेत कई और बड़ों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। मिश्र की गिरफ्तारी के बाद अब अन्य की भी मुश्किलें बढ़नी तय है।
ईओडब्लू ने मंगलवार को हिरासत में लेकर की पूछताछ
ईओडब्ल्यू ने मंगलवार तड़के 4.30 बजे मिश्र को अलीगंज स्थित उनके आवास से हिरासत में लेकर दिनभर पूछताछ की। डीजी ईओडब्ल्यू के अनुसार शुरुआती जांच में मिश्र की संलिप्तता सामने आई है। पूर्व एमडी ने ही 2016 में भविष्य निधि की रकम पीएनबी हाउसिंग में निवेश करने को मंजूरी दी थी, जबकि पीएनबी हाउसिंग में निवेश भी नियम विरुद्ध था।
उन्होंने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि 15 मार्च, 2017 को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) से कोटेशन लिया गया था। अगले दिन 16 मार्च को दो और निजी कंपनियों से कोटेशन लिए गए और उसी दिन डीएचएफसीएल में भविष्य निधि की रकम निवेश किए जाने का अप्रूवल दे दिया गया।
इससे पहले दो आरोपी हुए थे गिरफ्तार
इसमें नामजद पॉवर कार्पोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी तथा तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा जा चुका है। प्रवीण गुप्ता को आगरा और सुधांशु द्विवेदी को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।
यह है मामला
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे।