कौथिग- उत्तराखंड का एक ऐसा सांस्कृतिक मेला, जो पिछले 12 सालों से उत्तराखंड से लेकर महाराष्ट्र तक समाज और दिलों को जोड़ने का काम कर रहा है. कला, फ़िल्म, राजनीति... समाज के हर क्षेत्र से सरोकार रखने वाले दिग्गज बढ़ाते हैं कौथिग की शोभा. 10 दिनों के कौथिग में हर दिन लगभग 10 हज़ार लोग शामिल होते हैं. इस साल कौथिग की थीम है महाकुंभ! आइए, भावनाओं के इस महाकुंभ में आप भी साझा कीजिए अपनी भावनाएं!
कला-संस्कृति हर प्रदेश की धरोहर होती है और पहचान भी...और उत्तराखंड की कला-संस्कृति को विश्वस्तर तक पहुंचाने में कौथिग फाउंडेशन का बहुत बड़ा योगदान रहा है. पिछले 12 सालों से कौथिग फाउंडेशन मुंबई जैसे व्यस्त शहर में न सिर्फ़ प्रवासी उत्तराखंडियों को जोड़ने का सराहनीय कार्य कर रहा है, बल्कि उत्तराखंड की कला-संस्कृति को भी देश-दुनिया तक पहुंचा रहा है.
मुंबई कौथिग में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, पत्रकार, कलाकार... उत्तराखंड से सरोकार रखने वाले सभी महानुभाव हर साल मुंबई आते हैं. फिल्म और टेलीविजन जगत के जानेमाने सितारे कौथिग की शोभा बढ़ाने आते हैं.पूर्व में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तथा कई वरिष्ठ मंत्री इसमें भाग ले चुके हैं.
कौथिग की सबसे बड़ी ख़ासियत है इसकी थीम. फौज, पलायन, नंदा देवी यात्रा, केदारनाथ आपदा... हर साल कौथिग एक थीम पर आधारित होता है और ये थीम दर्शकों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देती है... इसीलिए दर्शक हर साल ये जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि इस बार कौथिग की थीम क्या होगी.
उत्तराखंड के युवा अपनी कला-संस्कृति, बोली-भाषा से जुड़े रहें इसके लिए कौथिग फाउंडेशन ने युवाओं को न सिर्फ इस इवेंट से जोड़ा है, बल्कि हर साल युवाओं के लिए उत्तराखंड प्रीमियर लीग के रूप में क्रिकेट मैच का भी आयोजन करते हैं.
इस बार का कौथिग होगा और भी ख़ास, क्योंकि इस बार कौथिग महाकुम्भ को समर्पित होगा।